14 इनवेस्टमेंट ऑप्शन

14 इनवेस्टमेंट ऑप्शन


जीवन बीमा पॉलिसी साल भर में आप जो भी प्रीमियम चुकाते हैं, उसे अपनी कुल टैक्सेबल इनकम में से घटा सकते हैं। अगर अब तक ऐसी पॉलिसी नहीं ली है तो जरूर ले लें। हां, टैक्स में छूट के लिए प्रीमियम की रकम कुल बीमा राशि (सम एंश्योर्ड) के 20 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 

म्यूचुअल फंड
बाजार में कई कंपनियों के म्यूचुअल फंड हैं। ध्यान रखें, जिन म्यूचुअल फंड्स में इनवेस्टमेंट करें, वे इक्विटी लिंक्ड होने चाहिए। बेहतर रिटर्न के लिए तीन से पांच साल लग सकते हैं, लेकिन थोड़े वक्त के इनवेस्टमेंट के लिए भी म्यूचुअल फंड अच्छा विकल्प है। 

हाउसिंग लोन रीपेमेंट में ब्याज की रकम (सेक्शन 24)
हाउसिंग लोन के कुल अमाउंट में से ब्याज की रकम पर भी डिडक्शन मिलता है। अगर आप प्रॉपर्टी का खुद यूज कर रहे हैं, तो इसकी सीमा डेढ़ लाख है। अगर आपने प्रॉपर्टी किराये पर दे रखी है तो ब्याज की कोई सीमा नहीं है यानी चुकाए गए पूरे ब्याज पर डिडक्शन मिलेगा। 
ट्यूशन फीस
अपने किन्हीं दो बच्चों की पढ़ाई के खर्च पर आप छूट ले सकते हैं, बच्चों की उम्र कुछ भी हो। अधिकतम सीमा एक लाख रुपये है। हां, उनकी एजुकेशन फुलटाइम होनी चाहिए। प्राइवेट ट्यूशन या कोचिंग आदि में दी गई फीस इसमें नहीं चलेगी। साथ ही किताबों पर होने वाले खर्च, दाखिले के वक्त दिया गया डोनेशन, कैपिटेशन फीस, एडमिशन फीस, एनुअल चाजेर्ज (वार्षिक शुल्क), डिवेलपमेंट चार्ज आदि भी इसमें शामिल नहीं कर सकते। 

ईपीएफ या जीपीएफ
सैलरी से साल भर काटे गए पीएफ की रकम को आप अपनी टैक्सेबल इनकम से घटा सकते हैं। 

हाउसिंग लोन का रीपेमेंट (प्रिंसिपल)
हाउसिंग लोन के रीपेमेंट में प्रिंसिपल अमाउंट के तौर पर साल भर में अदा की जा रही रकम को भी आप अपनी टैक्सेबल इनकम से घटा सकते हैं। 

पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट
इस स्कीम में छूट का फायदा लेने के लिए पांच साल के लिए पैसे इनवेस्ट करने होंगे। इसमें ब्याज 7.5 फीसदी है। 

बैंकों व दूसरी संस्थाओं के इंफ्रास्ट्रक्चर बॉण्ड
आरबीआई, आईडीबीआई, आईसीआईसीआई, आरईसी और पीएफसी जैसी संस्थाएं इस तरह के बॉण्ड जारी करती हैं। नाबार्ड लंबी अवधि के लिए जीरो कूपन बॉण्ड जारी करता है। यह 10 साल के लिए होता है। 
मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम (80 डी)
अगर आप खुद के लिए, अपने जीवनसाथी के लिए या आश्रित बच्चों के लिए मेडिकल इंश्योरेंस लेते हैं, तो इसमें 15 हजार का डिडक्शन मिलेगा। इसके अलावा अगर कोई अपने माता-पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस लेता है तो उस अमाउंट पर अलग से डिडक्शन मिलेगा। इसकी सीमा 15000 रुपये है। अगर माता-पिता सीनियर सिटिजन हैं, तो यह सीमा 20 हजार रुपये होगी। 

विकलांग आश्रितों के इलाज पर खर्च (80 डीडी)
एक या ज्यादा विकलांग आश्रितों की चिकित्सा, प्रशिक्षण और पुनर्वास के लिए किया गया खर्च और बीमा कंपनियों की योजना में विकलांग आश्रित के लिए जमा रकम। इन दोनों उद्देश्यों के लिए असल खर्च को ध्यान में रखे बिना कुल 50 हजार रुपये की कटौती मिलेगी। 

हायर एजुकेशन के लिए लिया गया लोन (80 ई)
हायर एजुकेशन लोन को चुकाने में ब्याज के तौर पर जितनी रकम जा रही है, उतना डिडक्शन मिलेगा। यह कटौती 8 साल तक या जब तक ब्याज पूरा वापस न हो, में से जो कम हो, तब तक मिलेगी। ऊपरी सीमा कोई नहीं है। 

डोनेशन आदि (80 जी)
नैशनल डिफेंस फंड, पीएम रिलीफ फंड, गुजरात भूकंप-पीड़ित फंड, नैशनल स्पोर्ट्स फंड में जितनी रकम दान करेंगे, उसकी सौ फीसदी छूट आपको इनकम टैक्स में मिलेगी। इसमें शर्त यह है कि आप जितनी रकम दान कर रहे हैं, वह आपकी कुल आमदनी का 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। जवाहर लाल नेहरू मेमोरियल फंड, इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट और राजीव गांधी फाउंडेशन जैसे ट्रस्टों में आप जितनी रकम दान देंगे, उसकी 50 फीसदी छूट मिलेगी। इसमें शर्त यह है कि आप जितना दान कर रहे हैं, वह आपकी कुल आमदनी के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए। 
मेडिकल एक्सपैंस (80 डीडीबी)
कुछ खास बीमारियों के इलाज पर साल के दौरान असल भुगतान की रकम पर कटौती मिलेगी। ये खास बीमारियां हैं : न्यूरॉलजिकल डिजीज, कैंसर, एड्स, हीमोफीलिया, थैलसीमिया आदि। असल भुगतान की रकम या 40 हजार रुपये में से जो भी कम होगा, उतना डिडक्शन मिलेगा। सीनियर सिटिजन के मामले में असल भुगतान की रकम या 60 हजार रुपये में से जो भी कम होगा, उतना डिडक्शन मिलेगा। 

विकलांगों को छूट (80 यू)
अगर कोई तकनीकी रूप से 80 फीसदी से ज्यादा विकलांग है, तो उसे 75 हजार रुपये की छूट मिलेगी। जो लोग 40 फीसदी से ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम विकलांग है, उन्हें 50 हजार रुपये छूट देने का प्रावधान सरकार ने किया है। 

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