पहले 40 पार के लोगों में मिलती थी जो डायबिटीज वह अब 20 साल की उम्र में हो रही
बदलती लाइफ स्टाइल और खाने में लगातार
बढ़ रहे फास्ट फूड के कारण डायबिटीज मरीजों
की संख्या तेजी से बढ़ रही ह। बी ै ते 10 साल में
डायबिटीज डिटेक्शन की उम्र 10 - 15 साल तक
घटी ह। पहले 40 साल की उम्र पार करने वालों ै में
डायबिटीज डायग्नोस होती थी। लेकिन, अब 20
से 30 साल के युवाओं में भी डायबिटीज मिल
रही ह। युवाओं ै में इसका आंकड़ा 30 प्रतिशत
तक ह। यह खुलासा गांधी ै मडिे कल कॉलेज के
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.
मनुज शर्मा ने रिपोर्ट में किया ह। डॉ. श ै र्मा के
मतुाबिक 10 साल पहले 40 साल की उम्र पार
कर चुके लोगों में टाइप-2 डायबिटीज मिलती
थी। लेकिन, अब 20 से 30 साल आयु वर्ग
के मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज मिल रही ह। ै
जबकि पहले इस आयु वर्ग के मरीजों में टाइप-1
डायबिटीज मिलती थी। उन्होंने बताया कि टाइप-1
डायबिटीज वाले मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज
मिलने की वजह प्री-डायबिटिक कैटेगरी के लोगों
का जागरूक नहीं होना ह। डॉ. श ै र्मा ने बताया कि
डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित
करना सबसे बड़ी चुनौती ह।
बिटीज मरीजों की संख्या से डेढ़ गुना है प्री- डायबिटिक, इलाज... खाने के बाद पैदल चलें
मेडिसिन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनुज शर्मा ने
बताया कि प्री-डायबिटिक का कनवर्जन रेट डायबिटीज में
पिछले 10 साल में तेजी से बढ़ा है। डायबिटीज मरीजों की
तुलना में प्री-डायबिटिक आबादी डेढ़ गुना है। इस कनवर्जन
रेट को धीमा करने के लिए जरूरी है, जो लोग प्री-डायबिटिक
श्रेणी में आते हैं, वह अपने खान-पान और जीवन शैली को
संयमित करें। इसके अलावा सुबह अथवा रात में खाना खाने
से पहले 45 मिनट पैदल जरूर चलें। इससे प्री-डायबिटिक के
डायबिटीज पेशेंट में बदलने की आशंका कम हो जाएगी।
बढ़ रहे फास्ट फूड के कारण डायबिटीज मरीजों
की संख्या तेजी से बढ़ रही ह। बी ै ते 10 साल में
डायबिटीज डिटेक्शन की उम्र 10 - 15 साल तक
घटी ह। पहले 40 साल की उम्र पार करने वालों ै में
डायबिटीज डायग्नोस होती थी। लेकिन, अब 20
से 30 साल के युवाओं में भी डायबिटीज मिल
रही ह। युवाओं ै में इसका आंकड़ा 30 प्रतिशत
तक ह। यह खुलासा गांधी ै मडिे कल कॉलेज के
एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.
मनुज शर्मा ने रिपोर्ट में किया ह। डॉ. श ै र्मा के
मतुाबिक 10 साल पहले 40 साल की उम्र पार
कर चुके लोगों में टाइप-2 डायबिटीज मिलती
थी। लेकिन, अब 20 से 30 साल आयु वर्ग
के मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज मिल रही ह। ै
जबकि पहले इस आयु वर्ग के मरीजों में टाइप-1
डायबिटीज मिलती थी। उन्होंने बताया कि टाइप-1
डायबिटीज वाले मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज
मिलने की वजह प्री-डायबिटिक कैटेगरी के लोगों
का जागरूक नहीं होना ह। डॉ. श ै र्मा ने बताया कि
डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित
करना सबसे बड़ी चुनौती ह।
बिटीज मरीजों की संख्या से डेढ़ गुना है प्री- डायबिटिक, इलाज... खाने के बाद पैदल चलें
मेडिसिन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनुज शर्मा ने
बताया कि प्री-डायबिटिक का कनवर्जन रेट डायबिटीज में
पिछले 10 साल में तेजी से बढ़ा है। डायबिटीज मरीजों की
तुलना में प्री-डायबिटिक आबादी डेढ़ गुना है। इस कनवर्जन
रेट को धीमा करने के लिए जरूरी है, जो लोग प्री-डायबिटिक
श्रेणी में आते हैं, वह अपने खान-पान और जीवन शैली को
संयमित करें। इसके अलावा सुबह अथवा रात में खाना खाने
से पहले 45 मिनट पैदल जरूर चलें। इससे प्री-डायबिटिक के
डायबिटीज पेशेंट में बदलने की आशंका कम हो जाएगी।
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