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बजट को मैनेज करने में मदद देंगी ये एप्स

वॉलेट (Wallet) पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट एप है। यह आपके बैंक अकाउंट से भी जुड़ जाती है। बैलेंस के साथ बिल्स, खर्चे ट्रैक करती है। इसके जरिए यूजर्स कैटेगरीज को कस्टम कर सकते हैं। बिल रिमाइंडर लगा सकते हैं, घर के तमाम खर्चों को सेट किया जा सकता है। भविष्य प्लान करने की आजादी देती है। मर्जी आपकी है कि दस दिन का बजट प्लान करें या दस साल का। होमबजट (HomeBudget) सरल और साफ-सुथरी एप है। ना केवल कैश फ्लो का ध्यान रखती है बल्कि इसे आपके इन्वेस्टमेंट का भी ख्याल रहता है। इसमें खर्चों को एडिट, क्रिएट और डिलीट किया जा सकता है। बिल रिमांइडर मिलते हैं, छह महीने का ट्रेंड चार्ट बन सकता है। सबसे बड़ी खूबी फैमिली सिंक है जिसके जरिए एक बजट पर परिवार के सभी लोग साथ काम कर सकते हैं, सभी की कमाई और खर्चों की जानकारी रखी जा सकती है। वायएनएबी (YNAB) पूरा नाम "यू नीड ए बजट' है। इससे अपनी सैलरी के मुताबिक खर्चों को बांट सकते हैं। बैंक अकाउंट सिंक किया जा सकता है। आपके ट्रांजेक्शन और खर्चे ट्रैक करेगी। वेब, एंड्रॉयड, आईओएस, एपल वॉच और एलेक्सा पर उपलब्ध कराया गया है

ये मुख्य कारण...35 फीसदी युवा मोटापे से पीड़ित, इसलिए बढ़ रहे मरीज

गांधी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सचिन चित्तावर ने बताया कि युवाओं में डायबिटीज बढ़ने की मुख्य वजह मोटापा बढ़ना है। एक सर्वे के अनुसार 35 फीसदी युवा मोटापा से पीड़ित हैं। जो अलग-अलग अस्पतालों, क्लीनिक्स में इलाज करा रहे हैं। बकौल डॉ. चित्तावर मोटापा पोषित पोषण आहार की अधिकता के कारण बढ़ा है। इसी वजह से अब 20 से 40 साल आयु वर्ग के करीब 30 प्रतिशत लोगों में डायबिटीज डायग्नोस हो रही है।

पहले 40 पार के लोगों में मिलती थी जो डायबिटीज वह अब 20 साल की उम्र में हो रही

बदलती लाइफ स्टाइल और खाने में लगातार बढ़ रहे फास्ट फूड के कारण डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही ह। बी ै ते 10 साल में डायबिटीज डिटेक्शन की उम्र 10 - 15 साल तक घटी ह। पहले 40 साल की उम्र पार करने वालों ै में डायबिटीज डायग्नोस होती थी। लेकिन, अब 20 से 30 साल के युवाओं में भी डायबिटीज मिल रही ह। युवाओं ै में इसका आंकड़ा 30 प्रतिशत तक ह। यह खुलासा गांधी ै मडिे कल कॉलेज के एंडोक्राइनोलॉजिस्ट एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मनुज शर्मा ने रिपोर्ट में किया ह। डॉ. श ै र्मा के मतुाबिक 10 साल पहले 40 साल की उम्र पार कर चुके लोगों में टाइप-2 डायबिटीज मिलती थी। लेकिन, अब 20 से 30 साल आयु वर्ग के मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज मिल रही ह। ै जबकि पहले इस आयु वर्ग के मरीजों में टाइप-1 डायबिटीज मिलती थी। उन्होंने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज वाले मरीजों में टाइप-2 डायबिटीज मिलने की वजह प्री-डायबिटिक कैटेगरी के लोगों का जागरूक नहीं होना ह। डॉ. श ै र्मा ने बताया कि डायबिटीज मरीजों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करना सबसे बड़ी चुनौती ह। बिटीज मरीजों की संख्या से डेढ़ गुना है प्री- डायबिटिक, इलाज.....

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पहले जीवित प्राणी को अंतरिक्ष में भेजा

1957- आज ही के दिन सोवियत संघ ने इतिहास में पहले जीवित प्राणी को अंतरिक्ष में भेजा था। ये जीव रूसी नस्ल की एक कुतिया थी, जिसका नाम लाइका था। लाइका को स्पुतनिक-दो नामक उपग्रह के साथ बैकानूर अंतरिक्ष स्टेशन से रवाना किया गया था। उसी साल चार अक्टूबर को स्पुतनिक नाम के अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया गया था जो आज भी पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है। लाइका उड़ान के शुरुआती घंटों में बेहद शांत थी और उसकी हृदय गति और शरीर के दूसरे अंग भी सही तरीके से काम कर रहे थे। लाइका को अंतरिक्ष में भेजने के पीछे रूसी वैज्ञानिकों का मकसद ये जानना था कि जीवित प्राणी पर सौर विकिरण और भारहीनता का क्या असर होता है। हालांकि पशु संगठनों ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी। इस प्रक्षेपण के बाद रूस ने अंतरिक्ष में पहले मानव के रूप में वोस्तोक 1 पर यूरी गागरिन को भेजा था।

ऑस्ट्रेलिया से बहुत कुछ सीख सकती है दुनिया

बढ़ती आय, कम सार्वजनिक कर्ज, कल्याणकारी राज्य, व्यापक आप्रवास को लोगों का समर्थन और इन चीजों से जुड़ी नीतियों पर व्यापक आमसहमति- ज्यादातर धनी देशों में यह दूर का सपना है। पश्चिम के कई राजनेता शायद ही ऐसी जगह की कल्पना कर सकते हैं, जहां यह सब हो। ऐसा ही देश है ऑस्ट्रेलिया। शायद यह हर जगह से दूर है या यहां सिर्फ ढाई करोड़ की आबादी है, इसलिए तुलनात्मक रूप से इसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं जाता। लेकिन, इसकी अर्थव्यवस्था धनी देशों में सबसे सफल है। यह 27 वर्षों से बिना किसी मंदी के बढ़ रहा है, जो किसी विकसित देश के लिए रिकॉर्ड है। इसकी समग्र वृद्धि जर्मनी की वृद्धि से लगभग तीन गुना अधिक है। मध्यम आय अमेरिका की तुलना में चार गुना तेजी से बढ़ी है। सार्वजनिक कर्ज जीडीपी के 41 फीसदी के बराबर है, जो ब्रिटेन की तुलना में आधा है। इसे किस्मत का भी साथ है। ऑस्ट्रेलिया में बहुत बड़े लोहे और प्राकृतिक गैस के भंडार हंै और तुलनात्मक रूप से चीन के नज़दीक है, जो ऐसी चीजें लपक लेता है। लेकिन, ठोस नीति-निर्माण से भी मदद मिली है। 1991 में पिछली मंदी के बाद तब की सरकार ने हेल्थकेयर और पेंशन व्यवस्था...

गूगल में आड़े-तिरछे कैप्चा का झंझट खत्म

आज से नया रिकैप्चा वी3 कोड लागू, 0.1 खराब व 1 अच्छा स्कोर न्यूयॉर्क | आप रोबोट हैं या इंसान, यह तय करने के लिए गूगल यूजर्स के लिए कैप्चा कोड का इस्तेमाल करता है। लेकिन आज से इसे बंद कर दिया जाएगा। इस कोड को लागू करने के बाद से काफी समय खराब हो रहा था। कंपनी का मानना है कि रोबोट कैप्चा कोड पढ़ ही नहीं सकते। इसलिए अब अंकों के आधार पर रिकैप्चा वी3 कोड लागू किया जा रहा है। इसमें यूजर्स को लंबे समय तक कोड टाइप करने की परेशानी नहीं होगी। गूगल में पहले कैप्चा कोड आड़े- तिरछे अक्षरों के जिफ फार्मेट में होते थे या फिर एमपी 3 वॉइस रिकॉर्डिंग के। साॅफ्टवेयर प्रोग्राम वाले इन कैप्चा कोड को रोबोट न तो टाइप कर सकते थे न समझ पाते थे। इसके जरिए ही गूगल को इंसान और रोबोट में फर्क पता चल जाता था। इन्हीं वजह को ध्यान में रखते हुए गूगल शनिवार से नया कैप्चा सिस्टम लागू कर रहा है। यह वेबसाइट पर बैकग्राउंड में 0.1 से 1 तक के स्कोर को दर्शाएगा। इसमें 0.1 खराब स्कोर होगा और 1 अच्छा स्कोर होगा। इस प्रक्रिया से वेबसाइट पर आगे बढ़ने में सहायता मिलेगी और बार-बार ब्राउजर को वैरिफाई नहीं कर...